भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पिता के रूप में पहचाने जाने वाले बाल गंगाधर तिलक को कौन जाना जाता होगा?
बाल गंगाधर तिलक एक समाज सुधारक होने के साथ-साथ एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। इसके साथ ही बाल गंगाधर तिलक हिंदू धर्म, संस्कृत भाषा और भारतीय इतिहास के बहुत बड़े ज्ञानी भी माने जाते हैं।
बाल गंगाधर तिलक का प्रारंभिक जीवन
बाल गंगाधर तिलक का जन्म साल 1856 में महाराष्ट्र में 26 जुलाई को हुआ था। बाल गंगाधर तिलक के पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था।
इनके पिता संस्कृत के एक प्रखंड विद्वान और ब्राह्मण थे। इनकी मां का नाम पार्वती बाई गंगाधर था।
बचपन में बाल गंगाधर तिलक का नाम केशव था और यही नाम इनके दादा का भी था,इसी वजह से बाल गंगाधर तिलक को सभी लोग बलवंत या बाल कहकर बुलाया करते थे, तभी से इनका नाम बाल गंगाधर तिलक पड़ा।
बाल अवस्था से ही गंगाधर तिलक एक विद्वान बालक थे। गंगाधर तिलक की हमेशा से ज्यादा रुचि गणित के विषय में ही रही। बचपन से ही गंगाधर तिलक काफी बहादुर स्वभाव के थे।
वह बिना हिचकिचाहट के अपनी बात सबके सामने कह दिया करते थे। इसके साथ बचपन से ही वह अन्याय के विरोधी भी थे। बाल गंगाधर तिलक की माता धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
जो हमेशा बाल गंगाधर तिलक को भारतीय संस्कृति सभ्यता और संस्कारों की शिक्षा दिया करती थी। जिसके कारण बचपन से ही बाल गंगाधर तिलक समाज संस्कृति के कल्याण के बारे में सोचते थे। तो वहीं दूसरी ओर, इनके पिता ने भी इन्हें घर पर रहकर ही संस्कृत का अध्ययन कराया।
जिसके कारण बहुत कम उम्र में ही बाल गंगाधर तिलक को काफी ज्ञान प्राप्त हो गया था।
बाल गंगाधर तिलक को अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए रत्नागिरी की पाठशाला में भेजा गया था। बाल अवस्था में अपने परिवार वालों से मिली शिक्षा की वजह से बाल गंगाधर तिलक ने अपने जीवन में हमेशा धैर्यपूर्वक होकर काम किया।
इसके बाद से इनका चरित्र और भी लोकप्रिय हो गया और लोग इन्हें लोकमान्य नाम से जानने लगे। इसके बाद साल 1866 में गंगाधर तिलक के पिता का तबादला पुणे शहर में हो गया जिसके बाद से गंगाधर तिलक की शिक्षा भी पुणे में ही पूरी हुई।
पुणे आने के कुछ समय बाद ही इनकी मां की मृत्यु हो गई। पुणे के एक विद्यालय में पढ़ते हुए गंगाधर तिलक अपने विचारों और ज्ञान के चलते काफी प्रसिद्ध हो गए थे।
बाल गंगाधर तिलक का विवाह और उनके पिता का निधन
बाल गंगाधर तिलक की मां की मृत्यु के बाद से इनके पिता की भी तबीयत खराब रहने लगी। इस समय हमारे भारत देश में बाल विवाह की प्रथा चलती थी।
तबीयत खराब रहने के कारण पिता ने बाल गंगाधर तिलक का विवाह गांव की एक सीधी साधी लड़की से कर दिया। जब बाल गंगाधर तिलक का विवाह हुआ तब उनकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी।
विवाह के 1 साल के बाद ही गंगाधर तिलक के पिता की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद बाल गंगाधर तिलक की सारी जिम्मेदारियों का जिम्मा इनके चाचा-चाची ने उठाया।
उच्च शिक्षा एवं कॉलेज
पिता की मृत्यु के समय बाल गंगाधर तिलक मैट्रिक की पढ़ाई कर रहे थे। पिता की मृत्यु का बाल गंगाधर तिलक पर गहरा प्रभाव पड़ा था। जिसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने अपने आप को 4 महीने संभाला और उसके बाद मैट्रिक की परीक्षा निकाली।
वर्ष 1872 में बाल गंगाधर तिलक ने मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए डेक्कन कॉलेज में प्रवेश लिया। यहाँ से इन्होंने 1876 में बी.ए. आनर्स प्रथम श्रेणी से पास किया। इसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने 2 साल में एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की।
बाल गंगाधर तिलक द्वारा कैसरी और मराठा का प्रकाशन
भारतीय लोगों के संघर्ष और परेशानियों को देखते हुए गंगाधर तिलक ने साल 1881 में लोगों को जागरूक करने के लिए केसरी और मराठा दो साप्ताहिक पत्रिकाओं की शुरुआत की।
यह दोनों पत्रिकाएं केसरी और मराठा लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का माध्यम बनी। इसके साथ ही दोनों पत्रिकाएं लोगों के बीच काफी प्रचलित भी रहीं।
बाल गंगाधर तिलक का राजनैतिक जीवन
बाल गंगाधर तिलक साल 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। इसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने उदारवादी विचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
बाल गंगाधर तिलक का कहना था कि ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सरल आंदोलन करना व्यर्थ है। इसलिए बाल गंगाधर तिलक एक सशक्त विद्रोह चाहते थे।
इसके बाद पार्टी ने बाल गंगाधर तिलक को गोपाल कृषण गोखले के खिलाफ खड़ा कर दिया। इसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने अपने अखबारों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार का खूब विरोध किया।
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु
साल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का बाल गंगाधर तिलक पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
जिसके बाद उनकी तबीयत खराब रहने लगी, इसके कुछ समय बाद बाल गंगाधर तिलक मधुमेह नाम की बीमारी से पीड़ित हो गये। जिसके बाद साल 1920 में 1 अगस्त में उनका देहांत हो गया।
इस प्रकार, बाल गंगाधर तिलक भारतीय समाज के एक प्रमुख व्यक्ति थे। जिनका जीवन चरित्र वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को सदैव प्रेरित करेगा।
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