चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि हर साल 29 को मनाई जाती है। चौधरी चरण सिंह देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे।चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर साल 29 मई को उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है।
Contents
चौधरी चरण सिंह का प्रारंभिक जीवन
चौधरी चरण सिंह का जन्म साल 1902 में 23 दिसंबर को एक जाट परिवार में हुआ था। चौधरी चरण सिंह के पिता का नाम चौधरी मीर सिंह था और यह एक गरीब किसान थे।
गरीब होने के बावजूद भी चौधरी मीर सिंह ने शिक्षा को पूरा महत्त्व दिया। चौधरी चरण सिंह की प्रारंभिक शिक्षा नूरपुर गांव में हुई और मेट्रिक की पढ़ाई इन्होंने मेरठ के सरकारी उच्च विद्यालय से की।
इसके बाद साल 1923 में चौधरी चरण सिंह ने स्नातक की पढ़ाई विज्ञान से पूरी की।
इसके दो साल के बाद साल 1925 में कला स्नातकोत्तर की परिक्षा पास की। इसके कुछ समय बाद चौधरी चरण सिंह ने वकील के परिक्षा पास करने के बाद गाजियाबाद में वकालत शुरू की।
साल 1929 में चौधरी चरण सिंह का विवाह गायत्री देवी से हुआ। इन दोनों की पांच संतान हुईं। चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजित सिंह अपनी पार्टी ‘राष्ट्रिय लोक दल’ के अध्यक्ष हैं।
चौधरी चरण सिंह का आज़ादी की लड़ाई में आना
चौधरी चरण सिंह साल 1929 में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। जिसके बाद सबसे पहले चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस का गठन किया।
गाजियाबाद में बहने वाली हिंडन नदी पर चौधरी चरण सिंह ने नमक बनाया था और इसी के साथ डंडी मार्च में भी भाग लिया।इस आंदोलन के चलते चौधरी चरण सिंह को 6 महीने की जेल भी हुई।
इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने गांधी जी की छत्रछाया में खुद को स्वतंत्रता की आंधी का हिस्सा बनाया। साल 1937 में फरवरी को इन्हें विधानसभा के लिए चुना गया।
भारत की आजादी के बाद साल 1952 में चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री बने। इसके बाद चौधरी चरण सिंह लगातार किसानों के हित में काम करते रहे।
चौधरी चरण सिंह ने राम नारायण और राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर एक नई पार्टी का गठन किया। इस दौरान चौधरी चरण सिंह और कई अन्य कांग्रेस विरोधी लोग जेल में थे।
जेल में रहते बात थी इन सभी नेताओं ने जनता पार्टी के लिए चुनाव लड़ा और उसके बाद बहुमत से जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद चौधरी चरण सिंह एक वरिष्ठ नेता के रूप में उभरे।
चरण सिंह मोरारजी देसाई के कार्यकाल में उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का पद संभाला।
इसके कुछ समय बाद ही चौधरी चरण सिंह और मोरारजी देसाई के बीच में संबंध बिगड़ने लगे जिसके बाद से चौधरी चरण सिंह ने जनता दल पार्टी छोड़ दी।
जिसकी वजह से सरकार गिर गई। चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस में अन्य पार्टियों के समर्थन से साल 19679 में 28 जुलाई को प्रधानमंत्री का पद संभाला।
चौधरी चरण सिंह द्वारा किए गए काम
चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता कहलाए जाते थे। किसान चौधरी चरण सिंह को अपना मसीहा मानते थे। चौधरी चरण सिंह ने पूरे उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं का समाधान किया।
हमारे देश कि धरती हमेशा कृषि प्रधान रही है। किसानों के प्रति प्रेम ने चौधरी चरण सिंह को इतना सम्मान दिया कि कभी उन्हें हार नहीं मानी।
यहां तक कि कभी उन्हें हार का सामना नहीं करना पड़ा। चौधरी चरण सिंह का जीवन भी सादगी भरा रहा।
चौधरी चरण सिंह की मृत्यु
साल 1987 में 29 मई को चौधरी चरण सिंह का निधन हो गया। चौधरी चरण सिंह के निधन से किसानों पर बहुत प्रभाव पड़ा।
आजादी के बाद चौधरी चरण सिंह इकलौते ऐसे नेता थे जिन्होंने किसानों के लिए काम किया। चौधरी चरण सिंह को आज भी किसान दिल से याद करते हैं।
https://www.pmwebsolution.in/ https://www.hindiblogs.co.in/contact-us/
