आमतौर पर साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत – उपवास में इसका काफी प्रयोग होता है।
लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है।
क्या आप इस सच्चाई को जानते हैं?
यह सच है कि साबूदाना (Tapioca) ‘ कसावा ‘ के गुदे से बनाया जाता है परन्तु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है की इस शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।
साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में बनी कुंडियों में डाला जाता है तथा रसायनों कि सहायता से उन्हें लंबे समय तक सड़ाया जाता है।
इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गुदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है।
रात में कुंडियों को गर्मी देने के लिए उनके आस – पास बड़े – बड़े बल्ब जलाय जाते हैं।
इससे बल्ब के आस – पास उड़ने वाले कई छोटे – छोटे जहरीले जीव भी इन कुंडियों में गिर कर मर जाते हैं।
दूसरी ओर इस गुदे में पानी डाला जाता है जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लम्बे कृमि पैदा हो जाते हैं।
इसके बाद इस गुदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है।
इस प्रक्रिया में गुदे में गिरे हुए कीट – पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है।
इसके बाद इसे मशीनों में डाला जाता है और मोटी जैसे चमकीले दने बनाकर साबूदाने का नाम – रूप दिया जाता है परन्तु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह सभी को दिखाई नहीं देती।
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