सीमा उसकी अनंत है, मूर्खता उसकी अनंत है,
जो प्राप्त करता है उसको, वह धन्य समझा है खुद को,
यह जिसको ना मिल पाए, वह हाथ मल पाए,
विद्या है इसका स्वरूप, इसको पाए सुंदर कुरूप,
पढ़ने लिखने में लगाओ ध्यान, और पां आओ तुम भी ज्ञान,
विद्या का ना करो अपमान, वरना रूठेगा तुमसे ज्ञान,
https://www.pmwebsolution.in/ https://www.hindiblogs.co.in/contact-us/
