लता मंगेशकर जी (1929-2022) की सुरमई आवाज में गाया गया यह गीत वास्तव में उनके जीवन की असल पहचान को बताता है।
भारत की स्वर कोकिला कहलाने वाली प्रतिष्ठित व लोकप्रिय गायिका लता मंगेशकर जी की आवाज़ को कभी कोई नहीं भुला सकता है। उनकी गायकी के दीवाने केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद हैं।
‘भारतरत्न’ से सम्मानित लता जी आज हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी आवाज, उनके गीत और उनकी उपलब्धियों का कभी अंत नहीं हो सकता।
लता मंगेशकर जी की आवाज़ अमर है। प्रत्येक चाहने वालों के दिलों में लता जी की यादें बसती रहेंगी और उनकी आवाज सदा कानों में गूंजती रहेगी।
लता मंगेशकर जी एक अरसे से काफी बीमार थीं, जिसके चलते कोविड से जुड़े कॉम्प्लिकेशन के तहत 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में ‘स्वर कोकिला’ ने अंतिम सांसे ली।
स्वर कोकिला के जन्म से जुड़ी बातें….
Lata Mangeshkar जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था तथा माता का नाम शेवंती मंगेशकर था। आशा भोंसले उनकी बहन हैं, जिन्होंने लता मंगेशकर के साथ गायकी में लंबा सफ़र तय किया है।
इसके अलावा लता जी की दो अन्य बहनें उषा मंगेशकर, मीना खाड़ीकर भी संगीत गायकी से जुड़ी रही। लता मंगेशकर जी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1972,1975,1990), फिल्म फेयर पुरस्कार (1958,1962,1965,1969,1994), महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1967 और 1967), पद्मभूषण (1969), पद्म विभूषण (1999), दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989), फिल्म फेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1993) आदि विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
भारत की सम्मानित गायिका लता जी को स्वर-साम्राज्ञी, राष्ट्र की आवाज, सहराब्दी की आवाज, भारत कोकिला, स्वर कोकिला नामों की उपलब्धि भी प्राप्त हुई।
आइए जानते हैं, लता मंगेशकर जी की गायकी का सफर…..
अक्सर अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी प्रतिभावान व्यक्ति को कई दिक्कतों का सामना करके आगे बढ़ना पड़ता है। इसी प्रकार लता जी अपनी आवाज की प्रतिभा की धनी रहीं। लेकिन 13 वर्ष की उम्र में लता जी के पिता की मृत्यु हो गई।
जिसके बाद लता जी के सामने गहन आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ और विकट संघर्षों का सामना भी करना पड़ा।
हालांकि लता जी को अभिनय अधिक पसंद नहीं था, लेकिन पैसों की किल्लत के कारण उन्हें कुछ हिंदी तथा मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। परिवार के बोझ के साथ ही अपने करियर को सफल बनाने में लता जी सदा प्रयासरत रहीं।
1948 में पार्श्वगायिकी में जब लता जी ने कदम रखा, तो उस वक्त उस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी और शमशाद बेगम की लहर छाई हुई थी। ऐसे में अपनी एक अलग पहचान बनाना लता जी के लिए काफी मुश्किल था।
लता जी का पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए आने वाला था, लेकिन किसी कारणवश वह फिल्म रिलीज नहीं हो पाई।
इसके बाद वसंत जोगलेकर ने अपनी एक फिल्म “आपकी सेवा में” में लता जी को गाने का मौका दिया। इस फिल्म में गाने के बाद लता जी की काफी चर्चाएं हुई।
जिसके बाद लता जी ने मजबूर फिल्म के गानों, ‘दिल मेरा तोड़ा हाय कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार ने’ और ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में अपनी आवाज दी।
सन् 1949 में, चर्चित अभिनेत्री मधुबाला की फिल्म “महल” का एक गीत ‘आएगा आनेवाला’ लता जी ने अपनी सुरमई आवाज के साथ गाया। यह फिल्म काफी हिट रही थी और इसके बाद से लता जी उपलब्धियों की सीढ़ी चढ़ती चली गईं।
Lata Mangeshkar जी ने अब तक 20 से अधिक भाषाओं में गीत गाए हैं। 30,000 से भी अधिक गाने लता जी ने अब तक गाएं हैं।
लता जी एक मात्र ऐसी जीवित व्यक्ति रहीं, जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं। लता जी अपनी गायकी को इतना सम्मान देती थी कि, वह हमेशा नंगे पांवों गाना गाया करती थी।
लेकिन आज यानि 6 फरवरी 2022 को उनका देहांत हो गया। ऐसे में भले ही अब उनका देह हमारे बीच नहीं रहा, लेकिन उनकी आत्मा संगीत सदा से जुड़ी रहेगी।
लता मंगेशकर जी द्वारा पार्श्वगायन और फिल्मी गानों में दिया गया योगदान अविस्मरणीय है।
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