जब से किया है दिलबर मैंने दीदार तेरा,
पल पल रहता है बस इंतजार तेरा।
दूर रहते हो तुम्हें दिल से लगाऊं कैसे,
अपनी बिछड़ी हुई नजरों में बसाऊं कैसे।
इंतेहा लेना हो उल्फत का तो ले लेना,
कितनी अनुपात है मेरे दिल में मैं तुम्हें दिखाऊं कैसे।।
माना के हम तुम्हारे प्यार के काबिल नहीं,
हम हैं क्या यह उनसे पूछो जिन्हें हम हासिल नहीं।
एक ही आरजू थी जिससे मिल जाने के बाद,
दिल में कोई और ना आया तेरे आने के बाद।
हजारों मंजिलें होंगी हजारों कारवां होंगे,
निगाहें हमको ढूंढेंगी न जाने हम कहां होंगे।
बड़ी ख्वाहिश थी हमें आशियां बनाने की,
बना चुके तो नजर लग गई जमाने की।
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