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जानिए गोपाल कृष्ण गोखले के बारे में
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म साल 1866 में 9 मई को महाराष्ट्र में हुआ था। गोपाल कृष्ण गोखले स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवक और नेता थे।
गोपाल कृष्ण गोखले का पारिवारिक जीवन
गोपाल कृष्ण गोखले एक ब्राह्मण से थे। इनके पिता का नाम कृष्णराव श्रीधर गोखले था। गोपाल कृष्ण गोखले ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था।
गोपाल कृष्ण गोखले की माता का नाम वालुबाई गोखले था। गोपाल कृष्ण गोखले एक गरीब परिवार से थे। इसलिए उनके परिवार के सभी जन यह चाहते थे कि गोखले एक अच्छी पढ़ाई करें और कोई छोटी मोटी सरकारी नौकरी करें।
गोखले बचपन से ही पढ़ाई में काफी आगे थे। गोपाल कृष्ण गोखले बचपन में सड़क की बत्ती के नीचे बैठकर पड़ा करते थे।
पढ़ाई के प्रति उन्में काफी लगन थी। गोखले ने 18 वर्ष की उम्र में बंबई के एलफिन्सटन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पूना के एक अंग्रेजी स्कूल में अध्यापक हो गये।
गोपाल कृष्ण गोखले का निजी जीवन
गोपाल कृष्ण गोखले की दो शादी हुई थी। साल 1880 में गोखले ने सावित्रीबाई से शादी की। गोखले जी की पत्नी सावित्रीबाई जन्म से ही एक बीमारी से पीड़ित थी। साल 1887 में गोखले जी ने दूसरी शादी की।
जब गोखले जी ने दूसरी शादी की तब उनकी पहली पत्नी सावित्रीबाई जीवित थी। गोखले जी की दूसरी पत्नी ने दो बेटियों को जन्म दिया और साल 1899 में गोखले जी की दूसरी पत्नी का निधन हो गया।
गोखले का राजनीतिक जीवन
साल 1889 में गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। कांग्रेस से जुड़ने के बाद कुछ सालों तक गोखले कांग्रेस के संयुक्त सचिव रहे। इसके बाद साल 1905 में गोखले कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
गोखले जी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से लोकतंत्र, स्वतंत्रता और संसदीय प्रणाली के महत्व को ज्ञान हो गया था। इसके बाद साल 1895 में गोपाल कृष्ण गोखले पुने में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रिसेप्शन कमेटी के सचिव बने।
जिसके बाद गोखले जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक प्रमुख चेहरा बन गए। इसके कुछ समय बाद गोखले जी बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य बने, जहां उन्होंने सरकार के खिलाफ बात कही।
अपनी राजनीतिक ऊंचाइयों के साथ-साथ गोखले ने कई सामाजिक सुधार भी किए जिसके चलते उन्होंने साल 1905 में एक “सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी” की स्थापना की। इस सोसाइटी को स्थापित करने के पीछे गोखले जी का उद्देश्य भारत के सभी लोगों को शिक्षित करना था।
गोखले के अनुसार, “जब भारत के लोग शिक्षित होंगे तभी वो अपने देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझेंगे और इसका निर्वाह भली – भांति करेंगे”. इसी के साथ गोखले जी के अनुसार भारतीयों की शिक्षा और विकास के लिए इंडियन सिविल सर्विस पर्याप्त नहीं थी।
इसी कारण उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की। ताकि भारत के लोगों का संपूर्ण विकास हो सके और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके।
इसी के साथ इस सोसाइटी में कई स्कूल और कॉलेजों की भी स्थापना की।इस सोसाइटी के जरिए उन्होंने कई गरीबों की मदद की। इसी के साथ गोखले जी ने नीची जातियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार का विरोध किया।
गोखले जी की मृत्यु
कई वर्षों तक की कड़ी मेहनत और समाज सेवा के बाद गोपाल कृष्ण गोखले हृदय अस्थमा रोग के रोगी हो गए। जिसके बाद साल 1915 में 19 फरवरी को गोपाल कृष्ण गोखले जी का निधन हो गया।
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