ताड़ासन करने से प्राण ऊपर के केंद्रों में आ जाते हैं जिससे पुरुषों के वीर्यस्राव एवं स्त्रियों के प्रदररोग की तकलीफ में तुरंत ही लाभ होता है।
वीर्यस्राव क्यों होता है?
जब पर में दबाव (Intro – abdominal pressure) बढ़ता है तब वीर्यस्राव होता है। इस दबाव के बढ़ने के कारण इस प्रकार हैं :
(1) ठूंस – ठूंस कर खाना,
(2) बार – बार खाना,
(3) कब्जियत,
(4) गैस होने पर भी वायु करे इसी आलू, गावरफली, भिंडी, तली हुई चीजों का सेवन एवं अधिक भोजन,
(5) लैंगिक (सेक्स संबंधी) विचार, चलचित्र देखने एवं पत्रिकाएं पढ़ने से।
इस दबाव के बढ़ने से प्राण नीचे के केंद्रों में, नाभि से नीचे मूलाधार केंद्र में आ जाते हैं जिसकी वजह से वीर्यस्राव हो जाता है।
इस प्रकार के दबाव के कारण हर्निया की बीमारी भी ही जाती है।
ताड़ासन की विधि :
सर्वप्रथम एकदम सीधे खड़े हो कर हाथ ऊंचे रखें। फिर पैरों के पंजों के बल पर खड़े रहें एवं दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
ऐसा दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) 5-10 मिनट तक करें।
यदि पैरों के पंजों पर ना खड़े रह सकें तो जैसे अनुकूल हो वैसे खड़े रहकर भी यह आसन किया का सकता है।
यह आसन बैठे – बैठे भी किया जा सकता है। जब भी कम (सेक्स) संबंधी विचार आएं तब हाथ ऊंचे करके दृष्टि ऊपर की ओर करनी चाहिए।
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