Vaccine क्या है…??
वैक्सीन एक ऐसी दवा है जो हमें,या हमारे शरीर को किसी भी बीमारी है और वायरस से लड़ने में मदद करती है।
Vaccine हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बीमारी और वायरस के संक्रमण के बारे में जागरूक करती है।
वैक्सीन बीमारी से लड़ने के लिए हमारे शरीर में एंटीबॉडी उत्पन्न करती है।जो हमारे शरीर को उस वायरस से लड़ने में मदद करती है।
नेचुरल ही हमारा इम्यून सिस्टम हमारे शरीर की रक्षा करता है। वैक्सीन हमारे शरीर में किसी भी रोग से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है।
कभी-कभी हमारा इम्यून सिस्टम थोड़ा वीक होता है।तब किसी भी रोग से लड़ने के लिए हम वैक्सीन लगवाते हैं। वैक्सीन लगने से हमारे शरीर को रोग से लड़ने की एनर्जी मिल जाती है।
कैसे काम करती है Vaccine ??
वैक्सीन किसी भी रोगाणु का एक कमजोर रूप होती है। वैक्सीन लगवाने से हमारे इम्यून सिस्टम की मेमोरी बन जाती है।
जिसके बाद से वह किसी भी रोग के वायरस को पहचान लेते हैं और उन से लड़ना भी सीख जाते हैं।
जब हमारे शरीर में किसी भी रोग का संक्रमण होता है तो इम्यून सिस्टम तुरंत एक्टिव हो जाता है। वैक्सीन लगने के बाद हमारा इम्यून सिस्टम किसी भी रोग जनक जीवाणु से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
वैक्सीन को दुनिया की सबसे उच्च चिकित्सा उपलब्धि में से माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैक्सिंग को बाजार में लाने से पहले गंभीरता से इसकी जांच की जाती है।
Vaccine को सबसे पहले प्रयोगशालाओं में उपयोग किया जाता है और उसके बाद जानवरों पर। इन सभी रसिया के बाद ही ऐसी को मनुष्यों पर ट्रायल किया जाता है।
हमारे देश में कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना से लड़ने के लिए दो वैक्सीन है। जो कि पूर्ण रूप से स्वदेशी हैं।
भारत में जो दो वैक्सीन कोरोना से लड़ने के लिए के इस्तमाल की जारी हैं वो कोवैक्सीन और कोविशील्ड हैं। आई एम आपको बताते हैं दोनों व्यक्ति उसके बारे में।
✓कोवैक्सीन:- को वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी टीका है। इस वैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक कंपनी ने मिलकर बनाया है।
इसी वजह से इस वैक्सीन को स्वदेशी का नाम मिला है। इस वैक्सीन को कोविड-19 के वायरस को देखते हुए बनाया गया है।
इस वैक्सीन में निष्क्रिय कोविड-19 वायरस हैं, जो हमारे शरीर में एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
इस वैक्सीन को बुखार,दिमागी बुखार जैसे अन्य रोगों में लगाए जाने वाले टीके की तरह बनाया है।
✓कोविशील्ड:-भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को कोविशील्ड नाम से बना रही है।
कोविशील्ड वैक्सीन को वायरल वेक्टर का प्लेटफार्म इस्तेमाल करके बनाया जा रहा है। यह एक बिल्कुल अलग तकनीक है।
चिम्पांजी में पाए जाने वाले आम सर्दी के संक्रमण के एडेनोवायरस का इस्तेमाल कर के कोविशील्ड वैक्सीन को बनाया गया है।
यह वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस से लड़ने के लिए मदद करती है। कोविशील्ड वैक्सीन को इबोला वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन की तरह ही बनाया गया है।
कितनी डोज़ लेनी आवश्यक है ??
कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए को वैक्सीन और कोविडशील्ड दोनों ही वैक्सीन की दो डोज़ लेना जरूरी है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवाने के लिए 4 से 8 हफ्ते का गैप होना जरूरी है। इससे वैक्सीन का अच्छा असर देखने को मिलता है।
वहीं को वैक्सीन लगवाने के लिए 4 से 6 हफ्ते तक का गैप रखना जरूरी है।
को-वैक्सीन और कोविशील्ड में से कौन सी ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है
वैज्ञानिकों के अनुसार, दोनों ही वैक्सीन अपने स्तर पर कोरोना से लड़ने में सक्रिय और सुरक्षित हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि, ट्रायल के नतीजों के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन 70 से 90 प्रतिशत प्रभावी है।
अब हम को वैक्सीन की बात करें तो, वैक्सीन के सभी ट्रायल के नतीजों के मुताबिक, को वैक्सीन 81 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इन दोनों ही वैक्सीन को प्रभावी और सुरक्षित पाया गया है।
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