दोस्तों क्या आप जानते हैं महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं इसके पीछे क्या कारण है ?
दोस्तों महाशिवरात्रि हिंदुओं का बहुत ही पवित्र त्यौहार है महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा आराधना की जाती है!
Contents
- 1 महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?
- 2 भगवान शिव को महादेव क्यों कहा जाता है ?
- 3 महाशिवरात्रि कब बनाई जाती है ?
- 4 शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
- 5 महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व-
- 6 महाशिवरात्रि कथा –
- 7 महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या ना करें ?
- 8 क्या करें –
- 9 क्या ना करें-
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?
दोस्तों हम सभी जानते हैं भारत एक ऐसा देश है जिसमें काफी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, और भारत देश में कई प्रकार के त्योहार भी बनाए जाते हैं इनमें से हिंदुओं का एक पवित्र त्यौहार महाशिवरात्रि भी है !
दोस्तों शिवरात्रि को लेकर देशभर में अलग-अलग धारणाएं मौजूद हैं इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है तथा इस प्यार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है !
महा शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिव के मंदिरों में काफी संख्या में भक्तों का आना होता है भक्तों की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती है की मंदिरों में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती है !
भारतीय ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सृष्टि का निर्माण हुआ था ! ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव करोड़ों सूर्य के समान तेजस वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे !
हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आज के दिन शिव जी की और पार्वती जी का विवाह हुआ था !
भारतीय मान्यता के अनुसार फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक है इसी दिन चंद्रमा और सूर्य का मिलन माना जाता है इस चतुर्थी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव तांडव करते हुए हैं
भारतीय मान्यता के अनुसार फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक है इसी दिन चंद्रमा और सूर्य का मिलन माना जाता है इस चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव तांडव करते हुए
भगवान शिव को महादेव क्यों कहा जाता है ?
भारत में काफी सारे देवों की मान्यता है लेकिन भारतीय ग्रंथ के अनुसार कुछ देवों को सर्वोपरि माना गया है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव प्रमुख हैं इन तीनों देवताओं को भी कहा जाता है लेकिन सभी देवताओं में भगवान शिव का स्थान पूरी तरह से अलग है इसीलिए ही नहीं महादेव का दाता है भगवान शिव को पूरे देश में
महाशिवरात्रि कब बनाई जाती है ?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक है, के अनुसार फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ओके तो चंद्रमा और सूर्य सूर्य का मिलन माना जाता है इसलिए चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है कहा जाता है !
- महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि पर शिव भक्तों को सुबह उठकर स्नान करके मंदिर जाना चाहिए, अथवा अपने घर पर ही शिवजी की पूजा कर सकते हैं, पूजा में चंदन, सुपारी, पान, अक्षत, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, फल फूल, नारियल इत्यादि शिवजी को अर्पित कर सकते हैं भगवान शिव जी को बेल अत्यंत प्रिय है अतः शिवजी को आप बेल भी चढ़ा सकते हैं और बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं !
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
दोस्तों शिवजी को बेलपत्र बहुत ही ज्यादा पसंद है इसलिए आप शिवरात्रि पर बेलपत्र जरूर चढ़ाएं सावन में भी आपको बेलपत्र चढ़ाना चाहिए इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है
बेलपत्र चढ़ाते समय आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए
- बेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला ही होना चाहिए टूटा हुआ या फिर खंडित बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए
- बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसको अच्छे से धो लेना चाहिए जिससे उसमें कोई भी कीड़े और गंदगी ना बैठे
- बेलपत्र चढ़ाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि आपको जल जरूर अर्पण करना है
- बेलपत्र चलाते समय ओम नमः शिवाय इस मंत्र का जाप भी करना चाहिए
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व-
दोस्तों को महाशिवरात्रि पर्व बहुत ही लाभदायक होता है इस पर्व पर हम शिवजी की उपासना करते हैं भक्तजन सारी रात जागकर शिवरात्रि का उत्सव मनाते हैं इस दौरान भक्तगण यज्ञ वेद मंत्र का उच्चारण साधना और ध्यान के माध्यम से वातावरण में दिव्यता की अनुभूति भी करते हैं !
शिवरात्रि पर हम परमपिता शिव को प्रेम से याद करके अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं शिवरात्रि का यही महत्व है !
महाशिवरात्रि कथा –
दोस्तों महाशिवरात्रि पर एक शिकारी की कहानी बहुत ज्यादा प्रचलित है दोस्तों एक शिकारी जंगल में भटक गया था, उसने एक पेड़ के ऊपर अपनी रात बिताई थी !
शिकारी एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़कर रात बिताने लगा था, दोस्तों उसी बेल पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो कि बेल पत्रों से ढक चुका था !
शिकारी को इस बात का ज्ञान नहीं था वह आराम से बेलपत्र की कुछ शाखाएं तोड़कर नीचे डालता गया, इसमें से कुछ बेलपत्र की पत्तियां शिवलिंग पर गिरती रही,
शिकारी बहुत भूखा प्यासा था उसने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था इस वजह से उसका व्रत भी संपन्न हो गया और शिवलिंग पर उसने बेलपत्र भी चढ़ा दिए !
उसी तालाब के किनारे एक गर्भवती हिरणी भी पानी पीने आई थी, लेकिन जैसे ही शिकारी ने अपना धनुष उठाया और निशाना साधा ,तभी हिरनी ने उससे विनती की कि मैं गर्भवती हूं, मुझे जाने दो,
यह देखकर शिकारी का हृदय परिवर्तित हो गया और उसने हिरनी को जाने दिया !
शिकारी व्रत में था और उसने जीवो पर दया भी की इसी वजह से उसको मोक्ष की प्राप्ति हुई !
भगवान शिव की अनेक अनेक मान्यताएं मानी जाती हैं कहा जाता है सबसे पहले भगवान शिव का निराकार रूप था, हिंदू धर्म के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आधी रात को भगवान शिव रूप में आए थे ! इस मान्यता के अनुसार भगवान से अपने विशालकाय रूप अग्नि लिंग के रूप में प्रकट हुए थे !
महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या ना करें ?
क्या करें –
- दोस्तों महाशिवरात्रि के दिन हरे कपड़े पहने चाहिए उनकी हरा रंग काफी शुभ माना जाता है और शिवजी को हरा रंग काफी ज्यादा पसंद है !
- दोस्तों शिवजी को बेलपत्र पुष्प चंदन का स्नान प्रिय है अतः अपनी पूजा में इन चीजों का इस्तेमाल अवश्य करें !
- दोस्तों शिवजी को भांग और धतूरे का फल बहुत ही ज्यादा पसंद है अतः आप अपनी पूजा में इनका भी इस्तेमाल अवश्य करें !
- दोस्तों अगर आप शिवरात्रि पर व्रत रखा हुआ है तो आपको सूर्योदय के बीच और चतुर्थी तिथि के अंत से पहले आपका उपवास तोड़ देना चाहिए !
क्या ना करें-
- दोस्तों महाशिवरात्रि के भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए ! महाशिवरात्रि के व्रत में साधारण नमक का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए, इसके लिए आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं !
- किसी भी प्रकार के भोग विलास से भी आपको दूर रहना चाहिए तथा अपना पूरा एकाग्र शिव को समर्पित कर देना चाहिए !
- शिवरात्रि पर स्त्रियों को अपने बाल भी नहीं धोना चाहिए अगर आपके बाल ज्यादा गंदे हैं तो आप 1 दिन पहले ही अपने बालों को साफ कर सकती हैं !
- दोस्तों भगवान शिव को सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती हैं, और हम सभी जानते हैं भगवान से संहारक हैं, इसलिए भगवान शिव को सिंदूर की जगह पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए !
दोस्तों आशा करता हूं ना आपको यह ब्लॉग बहुत ज्यादा पसंद आएगा आपका कुछ भी सवाल हो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं ब्लॉग को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !
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