हुए सवेरा जागी चिड़िया, भगा अंधेरा जागी चिड़िया
सूरज ने भी ली अंगड़ाई, धूप भारी चादर फैलाई।
हरी घास पर बिखेर मोती, धरती भी है सोना बोती
मुर्गी जी कुकडू – कूं बोले, पंख कबूतर ने झट खोल
कुहू – कुहू जब कोयल बोली, वन उपवन में मिश्री घोली
फूलों ने जब देखा हंसकर, महक उठा खुशबू से अम्बर।
https://www.pmwebsolution.in/ https://www.hindiblogs.co.in/contact-us/
