मैं, जानती हूं मैं आक्रोश हूं, मानवीय भाव का अवतार हूं
प्रेम हूं,मैं गाना हूं मैं, मानव में संवेदना ओं का संचार हूं मैं,
भूत हूं मैं वर्तमान हूं मैं, भविष्य की कल्पनाओं का हूं मैं,
भक्ति हूं मैं मोच हूं मैं, अभूतपूर्व ज्ञान का भंडार हूं मैं ,
पीड़ा हूं मैं संताप हूं मैं दुखी आत्माओं का उद्गार हूं
मैं मैं कविता हूं शब्दों की सरिता हूं,
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