अरे भाई किसानों को खालिस्तानी कहने पर इतना क्या बुरा मानना !!!!
अरे यह तो उनकी पहचान है। अपनी पहचान से भी भला कोई चिढ़ता है।
अच्छा भाई यह बताओ कि किसानों की जेब खाली है कि नहीं…….
समर्थक- हाँ जी बिलकुल खाली। छदाम भी नहीं!
चलो छोड़ो, अच्छा यह बताओ कि इस व्यस्तता के दौर में भी सबसे ज्यादा खाली किसान है कि नहीं……..
हैं न!!!
समर्थक- हाँ साहब ये तो बिलकुल सत्तारी है। साल भर ऊँघते रहते हैं। ठीक से अनाज तक नहीं पैदा करते।
हमें हर साल पड़ोसी देशों से लेना पड़ता है।
ख़ैर चलो इसे भी छोड़ो, आप यह बताइये कि ये (किसान) खाली टाइम में आंदोलन करते हैं कि नहीं … करते हैं न !!
समर्थक- हाँ साहब करते हैं। ये तो पैदा ही इसीलिए हुए हैं।
*तो फ़िर जो इत्ते खाली-खाली हैं वे खालिस्तानी हुए कि नहीं।* समर्थक- जय हो साहब की
