एक जंगल में दो पेड़ थे।
एक आम का और एक पीपल का।
जंगल में कुछ ततैया बाहर से आई।
उन्होंने पीपल के पेड़ से पूछा आप की टहनी पर घोंसला बना सकती हूं। लेकिन पीपल के पेड़ ने मना कर दिया।
ततैया ने बहुत निवेदन किया। लेकिन पीपल का पेड़ नहीं माना।
आम के पेड़ ने कहा – पीपल का पेड़ नहीं मान रहा तो तू मेरी टहनी पर घोंसला बना ले।
ततैया ने घोंसला आम के पेड़ पर बना लिया।
कुछ दिन बाद दो लकड़हारे आए, उन्होंने आम के पेड़ को देख कर कहा कि इस पर तो ततैया का छत्ता है।
इस पेड़ को काटेंगे तो वह हमें मार देंगे।
उन्होंने पीपल के पेड़ को देखा और कहा कि हम इस पेड़ को काट लेते हैं।
जैसे ही उन्होंने पीपल का पेड़ काटना शुरू किया पीपल का पेड़ जोर-जोर से रोने लगा।
आम के पेड़ ने कहा जाओ तो ततैया पीपल के पेड़ की रक्षा करो।
जैसे ही ततैया आती लकड़हारे भागने लगे।
पीपल के पेड़ ने कहा – मुझे माफ़ करदो ततैया, मैंने तुम्हे अपनी टेहनी पर घोस्ला नहीं बनने दिया।
शिक्षा – दूसरों की मदद करने से अपना भला होता है।
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