अठावले को नमन

संजीव शुक्ल अपनी कविता से तुकबंदी साहित्य को शिखर पर ले जाने वाले काव्य-जगत के कोहिनूर...

“यह वर्ष हमें स्वीकार नहीं”-Ye New Year hume swikar nahi

कुछ लोग नए साल पर यह गीत गाकर कि "यह वर्ष हमें स्वीकार नहीं" पाश्चात्य-अनुकरण के प्रति अपने गहरे रंजो-गम व भारतीय...

जुझारूलाल के मन की चोट

संजीव शुक्ल जुझारूलाल प्रवक्ता बनना चाह रहे थे। यह उनकी दिली तमन्ना थी, बल्कि उनका तो...

यह लिहाज ही है जिसका लिहाज है-Ye Lihaj hi hai Jiska Lihaj hai

हम लोग लिहाजप्रिय हैं। हम सभी कभी उम्र का तो कभी महिला का तो कभी परिवार का लिहाज करते पाए जाते हैं। ...

खेती पर राजनीति-Kheti Par Rajneeti

खेती तो कभी भी फायदे की चीज नहीं रही साहब। चंपारण से लेकर आज तक। प्रेमचंद के होरी...

चुनावी कुकरहाव-Chunavi kukrhaw

यही हाल पार्टियों के नेताओं और समर्थकों का है। यहां कुत्ता न होकर के भी कुत्तेपना को जीने की भरसक कोशिश की...

हनुमान जी की जाति.

संजीव कुमार शुक्ला अब हनुमानजी भी अनुसूचित जाति में दर्ज़ हुए ....

लोकतंत्र और आंदोलन-Democracy and Movement

लोकतंत्र सिर्फ़ एक राजनीतिक प्रविधि भर नहीं है और न सिर्फ़ एक संवैधानिक ढांचा भर है, क्योंकि कई बार संवैधानिक ढांचे में...

आजाद और क्रांति

संजीव शुक्ल असहयोग आंदोलन के दौरान जब सत्याग्रही के रूप में बालक आजाद पर मुकदमा...

पुरस्कार हमारी जरूरत है, इसलिए जरूरी है-The prize is our need, so it is...

बड़ी ग़जब चीज है पुरस्कार !! यह स्वयं में उपलब्धि है। उपलब्धि इस मायने में कि कई बार...

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समझ की ही तो बात है…

एक था भिखारी ! रेल सफ़र में भीख़ माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि...
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